FRONT SIDE TOP
“चतुर्दशमुखो परमः शिवः”
“चौदह मुखी रुद्राक्ष परमशिव है |”
“The Fourteen Face Rudraksha is Paramshiva himself.”
अधिपति देवता / Presiding Deity : परमशिव / Paramshiva
संचालक ग्रह/Ruling Planet – शनि / Saturn
बीज मंत्र/SEED SYLLABLE - ॐ नमः / Om Namah
ॐ न्रां /Om Nraam
FRONT SIDE BOTTOM
चतुर्दशमुखो यो हि रुद्राक्षः परमः शिवः |
सर्वव्याधिहरश्चैव सर्वारोग्यप्रदायकः ||
शिवमहापुराण, विद्येश्वर संहिता, अध्याय – 25, श्लोक - 80.
"चौदह मुखी रुद्राक्ष स्वयं परमशिव है (इसे ही परब्रम्ह के नाम से भी जाना जाता है और यही शैवधर्म में परमसत्य माना जाता है)| यह सभी प्रकार के रोगों को हरनेवाला और सभी प्रकार के आरोग्य को प्रदान करनेवाला होता है |"
“The Fourteen Face Rudraksha is none but Paramashiva (the highest aspect of Truth in Shaivism). It takes away all pain and diseases and provides the wearer with a life full of good health.”
BACK SIDE
चौदह मुखी रुद्राक्ष के लाभ
- यह रुद्राक्ष शनि ग्रह के दुष्प्रभावों का शमन करके शनि की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है |
- ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं अपने गले में चौदह मुखी रूद्राक्ष का कंठा धारण करते हैं।
- यह रुद्राक्ष भाग्य को प्रबल बना कर सही और समयोजित निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि करता है|
- शास्त्रों का कथन है की भगवान् शिव की तीसरी आँख से जो आंसू धरती पर गिरे उनसे ही चौदह मुखी रुद्राक्ष उत्पन्न हुए इसलिए इसे आज्ञा चक्र (तीसरी आँख) खोलने वाला माना जाता है|
- इसे दूरदृष्टि और पूर्वाभास की शक्ति का प्रदाता मानते हैं और माना जाता है की इसे धारण करने वाला भूत, वर्तमान, और भविष्य का सम्पूर्ण ज्ञाता बन जाता है|
- इसे उद्योगपतियों और व्यापारियों के लिए सबसे अच्छा रुद्राक्ष माना जाता है|
- यह भूमि व निर्माण सम्बन्धी क्षेत्रों के साथ यह रुद्राक्ष शेयर बाजार में कार्यरत व्यक्तियों के लिए विशेष लाभ देने वाला होता है|
- इसे शरीर की मांसपेशियां व स्नायु तंत्र भी दृढ करने वाला भी जाना जाता है जिससे मानसिक और शारीरिक बल में वृद्धि होती है और पूर्ण आरोग्य प्राप्त होता है |
चतुर्दशमुखं वत्स रुद्राक्षं यदि धारयेत् |
सततं मूर्ध्नि बाहौ वा शक्तिपिंडं शिवस्य च ||
किं पुनर्बहुनोक्तेन वर्णितेन पुनः पुनः |
पूज्यते सततं देवैः प्राप्यते पुण्यगौरवात् ||
पद्मपुराण, सृष्टि खंड, अध्याय – 59, श्लोक – 195, 196.
"हे वत्स, यदि चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाए (विशेष करके माथे पर या बाहुओं में) तो धारककर्ता शिव का शक्तिपिण्ड बन जाता है (शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग दोनों बन जाता है)| इसके पुनः पुनः वर्णन की आवश्यकता है? पुण्यात्माओं को ही यह रुद्राक्ष धारण करने का गौरव प्राप्त होता है और ऐसे व्यक्ति देवताओं द्वारा भी पूजे जाते हैं |"
“O son, if the Fourteen Face Rudraksha is worn (especially on the forehead or in the arms) the wearer becomes a Shakti-Pinda (a body of Power) of Lord Shiva himself, and becomes a Shakti-Peetha (a body consecrated by Power) and a Jyotirlinga (the Radiant Sign of Shiva). What is the point in saying this again and again? Wearing it is a matter of the greatest fortune and glory and that person becomes worthy of worship by the Gods themselves.”
Benefits of Fourteen Face Rudraksha
- This Rudraksha gives relief from the ill-effects of the Planet Saturn and opens up the wearer to its positive energy.
- It is believed that Lord Shiva himself wears a kantha (32+1 beads mala) of this Rudraksha around his neck.
- It is believed to help in opening up the Third Eye (Ajna Chakra) as it is written in the Shashtras that it was born from the tears that fell from the third-eye of Lord Shiva.
- It is the best for all round luck and improving intuition which helps one in taking quick and right decisions in all spheres of life.
- It is the best bead for industrialists, people in land & construction business, and for people in positions of authority.
- Some businesses which are speculative in nature like share market, gambling, etc. bear better fruits if one regularly wears this truly magical bead.
- This is the best bead for strengthening the nervous and immune system and it is believed to cure all diseases.